आज के गुमराह विकास की महत्वाकांक्षाओं की सूरत में, हमारे ग्रह की जीवित जैव विविधता को संरक्षित करना निस्संदेह पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व को आतंकित करने वाली एक सबसे महत्वपूर्ण चुनौती है। यह जंग जाल्वायु की आपदा से नख-शिख से जुदा है जिसे अब अत्यधिक दृढ़ अर्थशास्त्रियों और वैज्ञानिकों ने भी वास्तविकता के रूप में स्वीकार कर लिया है।
सेंक्चुअरी एसिया, वह पत्रिका जिसे मैं संपादित करता हूँ, का विश्वास है की वायुमंडल में अन्तःक्षेपित कार्बन को वापस सुरक्षित धरती पर लेन का एक मात्र तर्कसंगत और किफायती तरीका इस ग्रह के प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र को पुनर्जम देना, पुनः स्थापित करना और ताजा करना है। यह दूसरी तरफ एक ऐसा लक्ष्य है जिसे जैव विविधता वाले प्रजातियों को ग्रह को पुनः बनाने की अनुमति देकर ही प्राप्त किया जा सकता है। जलीय एवं स्थलीय दोनों ही प्राणियों, विश्व के सारे वैज्ञानिकों को एक साथ करने के बावजूद हमारे महासागरों, किनारों, झीलों, नदियों, जंगलों, रेगिस्तानों, घास के मैदानों और पर्वतीय पारिस्थितिक प्रणाली को उनसे बेहतर साफ़, बहाल और व्यवस्थित रख सकती है।
इस लक्ष्य की प्राप्ति का एक अत्यंत प्रायोगिक तरीका बाघ, हाथी, दरियाई घोडा, शेर, पक्षी और हर विश्लेषण वाले कीड़े और अस्तित्व में उपलब्ध जलीय प्राणियों वाले पूर्व में उपस्थित जैव विविधता वाले वाल्टन के आसपास कम्युनिटी नेचर कन्ज़र्वेन्सीस (सी एन सी) सामुदायों का एक झुण्ड तैयार करना है। इसकी पुष्टि करके की सारे संसाधनों का आंतरिक या बहिर्गामी चलन का प्राथमिक चयनकर्ता स्थानीय समुदाय है, हम मानव तथा अभ्यारण्यों के बीच के वर्तमान विरोधाभासी रिश्ते में फेरबदल करने के हाल में होंगे, यहाँ तक की अगर हम लाखों की संख्या में जैव विविधता की बहाली पर मिले स्थापित टिकाऊ आजीविका और रोजगार बना दें तब भी यही हाल होगा।
मुख्य रूप से हम सीमान्त बेकार हो चुके खेतों को फिर से जंगल की स्थिति में बदलने की वकालत करते हैं। यह हकीकत में ऐसे देश में जहाँ लगभग आधा लाख किसानों ने आत्महत्या कर ली क्यूंकि उनके खेत वायदे के मुताबिक उपज देने में असफल रहे और मानवीय सहनशक्ति से परे ऋण और सामाजिक संघर्ष से निपटने के लिए उन्हें छोड़ दिया; एक सुप्तावस्था की संभावना है। संक्षेप में, समुदाय कन्ज़र्वेंसीस हमारे जैव विविधता की मौजूदा पीए ‘बॉल पेन के दाग’ को ‘स्याही के दाग’ में बदलना चाहते हैं।
यह पेंच बाघ अभ्यारण्य परिदृश्य में कंज़र्वेशन वाईल्डलैंड्स ट्रस्ट के मिशन में बिल्कुल फिट बैठता है। यहाँ स्थापित किया गया है कि ई-बेस इस आशा का प्रतिनिधित्व करता है, कि हमारी सबसे मूल्यवान उद्यानों और अभयारण्यों के आस – पास रहने वाले कम उम्र के लोगों से भले ही उचित रूप से और न्यायसंगत तरीके से व्यवहार न किया जाता हो, लेकिन वे संरक्षण के उपायों के लिए तर्क को समझते हैं जिस पर उनका ही भविष्य निर्भर करता है।
अभयारण्य में, हम बच्चों में विश्वास करते हैं। वे भारत के भविष्य हैं। वे अविश्वसनीय रूप से बुद्धिमान होते हैं। वे कुटिलता से स्वतंत्र हैं और इस ग्रह के लिए काम करने के लिए तैयार हैं। पेंच बाघ अभ्यारण्य के आसपास के बच्चे भी कोई अलग नहीं हैं और कुछ ही वर्षों में, CWT अभयारण्य के साथ काम कर रहे बाघ निवास में और आसपास रहने वाले बच्चों को जुटाने में खुशी होगी। वे जल्द ही अपने शासन के अधिभागी होंगे और उनकी मदद से, हम एक ऐसे समय की उम्मीद कर सकते हैं जब बाघ और मनुष्य के बीच का संघर्ष विराम को वे तोड़ देंगे जो पहले तब हुआ करता था जब मनुष्य का लालच आड़े आता था।
बिट्टू सहगल
संपादक, सेंक्चुअरी एशिया