हमारे अपने बीज बोने के लिए निर्धारित किए गए समय से एक हफ्ते पहले , ताज भगवान् के हमारे सहभागियों ने हमारे जैविक उद्यान के लिए निराई, सफाई और पैच में थोड़ी ताजी मिटटी मिलाने में मदद की। स्कूलों के देर खुलने की वजह से पहले से ही देर हो चुके हम लोगों ने जुलाई में जितनी जल्दी हो सके बुवाई करने का फैसला किया। पूरी तरह से निराई की हुई तथा तैयार पैच के साथ, उस हफ्ते पेंच में हुई धुआंधार बारिश का ही आखिरी ख्याल हमारे दिमाग में था! इस साल की एक कीर्तिमान बनानेवाली बारिश के साथ, पेंच का मौसम हमारे पक्ष में नहीं था और जब तक हम यह समझ पाते उससे पहले ही बारिश ने हमारी उपजाऊ मिटटी को धो डाला, कीड़े पुनः हमारे पैच पर आने लगे और शिशु सांप भी आगंतुक के रूप में आता था।
इसलिए हमने फिर से पूरी शुरुआत की। छात्रों ने पैच पर से अत्यधिक बड़े हो चुके जंगली पौधों को साफ़ किया, पैच की निराई की और शेष मिटटी को जोत दिया। (फ़िक्र मत करें, हमने बहुत ध्यान से सांप को लुढ़क कर दूर जाने का मौका दिया)
अंत में हमारे जैविक खाद या अधिक सामान्य रूपे में गोबर और थोड़ी काली मिटटी के नाम से जाने जानेवाले खादों का डम्पर आया।
हमने सोचा की हम तैयार थे, पर जैसा की हमने कहा, मौसम सहयोग करने के मूड में नहीं था!
हमारे पैच को जोड़कर रखने की कोशिश में आगे क्या होता है यह पता करें। ट्विटर पर #theorganicdiaries पर अधिक पोस्ट देखें।
(The E-Base program is all about putting into practice learnings at the E-base. Our modules are well complemented by hands- on and practical implementations through our projects in schools we associate with. The three main projects for this year- organic gardening, composting and energy generation through a bicycle aim to drive home the necessity of a commitment towards sustainability and environmental conservation.)