शायद कमरे के कचड़ों के बीच से एक बहुत बड़े कचड़े का सचमुच ई-बेस में इस वर्कशॉप के दौरान स्वागत किया गया था। छात्रों को कचड़े और इनके खतरों से परिचित कराने के लिए ग्रीन द गैप ने अपने थोड़े से ज्ञान को साझा करने का कदम उठाया।
एक नए नामवाले खेल के साथ, ग्रीन द गैप के विमलेन्दु झा ने छात्रों को यह एहसास दिलाया कि हमारे आसपास कितना सामान ख़रीदा जाता है और अंततः जलने के माध्यम से या तो गड्ढों के या वायुकणों के अनंत निवासी बन जाते हैं। हमारे पास “कलिया पेप्सी बोतल”, ‘जाया पानी’, अश्विन चप्पल और ऐसे बहुत से पसंदीदा सामान थे। तो, उस दिन के लिए, हमने अपने नाम बदल लिए। तकरीबन ५० से अधिक ऐसे सामान को नामित किया गया जिनका जीवन ख़त्म होने के बाद उनका बेकार होना सम्भावित है, छात्रों को यह एहसास होने में कि स्थिरता हमारे वास्तविक जीवन का एक अभिन्न अंग नहीं है।
इसलिए हमारी अगली गतिविधि आई जिसने छात्रों को उनके गांवों में उत्पन्न होनेवाले कचरे के सभी विभिन्न प्रकार के साथ निपटारा करने समझने में मदद की। किसका पुनर्चक्रण करना है, किससे खाद बनाना है से लेकर किसकी किस्मत में गड्ढा भरना लिखा है तक की सारी बातों से छात्रों ने खुद को परिचित कराया। वे ३ आर (R) से भी परिचित थे। कम करना, पुनः उपयोग करना और कुछ, रचनात्मक पुनर्चक्रण का एक विशेषज्ञ ग्रीन द गैप है!
पेपर बैग्स, प्लेंटर्स, कलम कि रिफिल के लिए कलम और ऐसी बहुत सी बनाते हुए बच्चे धमाके किए जा रहे थे।
२४ नवम्बर को होनेवाले ई-बेस मेले में छात्रों के लिए “अपशिष्ट से सर्वश्रेष्ठ प्रतियोगिता” है जिसमें वो किसी बेकार वस्तु को लेकर उसे किसी उपयोगी वस्तु में तब्दील करेंगे। हम वास्तव में विशेष रूप से इस तरह के एक प्रेरणादायक सत्र के बाद कचरे के लिए उनके विचारों को देखने के उत्सुक हैं!
रविवार तक ,
विदाई हस्ताक्षर पूजा पीईटी बोतल
पुनश्च: ई बेस मेले में पेंच टाइगर रिजर्व में इस रविवार २४ नवंबर को हमारी बहुत ही अनोखी अपशिष्ट स्थापना अवश्य देखें !